Tuesday, March 1, 2011

राहुल और वाशी-(बंगलोर मे पहिली चुदाई)

आज बॅंगलोर का पहला दिन था.
राहुल बडाही प्रसन्न था. आज उसे दफ्तर जाना नही था. खाना बनानेकी झंझट नही थी. बाहारसे खाना मंगानेका ऑर्डर देखर टि.वी. देखते हुवे बेडपर पडा था. सुबह पाच बजे पहुचे थे. दोपहर के दो बजे तक थकान कि वजह से हम दोनो पडेपडे सो गये. उठतेही उसने पिछे सि पकड लिया और लेटे लेटे हि मेरी पिठमे पिछेसे चुम्मीया लेना शुरु कर दिया. मै भी मुडकर सिने मे अपना मुह गाड दिया.
उसने दोनो हाथोसे मेरे उरोज पकडकर सहलाना शुरु कर दिया. उसका लंड काफी कडक हो चुका था. मुझे कपडोमेभी लंडका स्पर्श हो रहा था. आजतक मैने कभी लंडको खुद आगे बढकर नही पकडा पर आज मन हुआ और हाथ आगे बढाकर सिधा लंड हाथ मे पकडा.
इस बात से राहुल कि चेहरेपर आनंद कि लकिर चमक गयी. अब मै एक हाथ से लंड को सहलाने लगी और दुसरे हाथ से उसके सरके बाल सहलाने लगी.
वाशी: कितना टाईट है तुम्हारा वो....
वाशी शरमाके सिर छातीमे गाडते हुवे बोली.
राहुल: और जोर से दबाओ, अच्चा लगता है....
अब मै जोर जोर से लंड को दबाने लगी. राहुल से रहा नही गया. उसने मुझे उलटा लिटा दिया. मेरे उपर लेटकर अपना लंड मेरी गांड पर घिसने लगा. कडक कडक लंड गांडपर घिस रहा था. भलेही गाऊनपरसे घिस रहा था पर बडा मजा आ रहा था.
अब राहुल मुझपर लेट गया और लंड को घिसना रुका दिया. पर टाईट्सा लंड कुछ इस कदर गांड को दबा रहा था मानो चुदाईसेभी जादा मजा आ रहा था.
आखिरकर बहोत देरतक ये खेल खेलने के बात मुझे नंगा किया. खुदभी नंगा हो गया और चुद मे लंड घुसेड दिया. २० से २५ मिनटतक चुदाई करने के बाद दोन थककर पसिनेसे भरे बेड पर लेट गये. १५ मिनट बाद खाना आया तो उटकर लिया.
अब खाने के बाद और एक रांऊड चुदाई करनी थी. क्युंकी कलसे राहुल द्फ्तर जाने वाला था. अब दिन कि चुदाई नही मिलने वाली थी. जो उसे भी चाहिये थी अरु मुझेभी.

राहुल और वाशी-(हनिमुन)

वाशी: देखो राहुल मुझे आज बिलकुल मन नही हो रहा है. तुम प्लिज फोर्स मत करना. कल पुरा दिनभर तुमने कितनी बार किया है जरा याद करो. निचे मुझे आग आग हो रही है. तुम्ह प्लिज समझा करो यार.
वाशी बडीही बिनती कर रही थी. कलही राहुल और वाशी सुहागरात मनाने उटी आये थे. आतेही दिनभर होटल मे खुब चुदाई चली. वाशी भी पुरा साथ दे रही थी. पर राहुल ने चोदते चोदते उसके गांड मे भी उंगली घुसाई. वैसे तो चुदाई चलते समय उंगली घुसानेपर वाशी और उत्तेजीत हो जाती और राहुल को ऐसा करने को उकसाती. राहुल ने अब दो उंगलिया घुसाना चालु किया.
एक तो चुद मे लंड घुसेडना चालुही था और पिछे गांड मे उंगलीया भी घुसेड रहा था. कुल मिलाकर वाशीभी इससे खुश हो जाती और चिल्ला चिल्लाकर जोर जोर से चोदने को कहती.
कल सारा दिन वाशी कि चुद और गांड दोनोही अच्ची घिसाई हुई. रातमे भी लॅपटॉपपर ब्लु फिल्म देख देखकर दोनोने चुदाई का मजा लिया. आज वाशी की चुद और गांड दोन बहुत दर्द दे रहे थे.
नही राहुल प्लीज आज नही. चाहे तो रातको करेंगे पर अब नही.
राहुलने लॅपटॉप पर फिरसे b.f. शुर कर दि और देखने लगा. अब मुझसे रहा नही गया. मै भी जाकर उसको लिपट गयी. उसने मेरे मुह मे मुह डाक कर जुबान तक अपनी जुबान भिडा दी.
अब मै भी उत्तेजीत हो गयी.
दोनो हाथोसे उसका सिर पकड लिया और जोर जोर से उसकी जुबान चुसने लगी. तबतक उसने धिरेसे अपना हाथ मेरे उरोंजोमे घुसा दिया और दबाने लगा.
मेरी चुद निचे फडफडाने लगी.
मै राहुल की गोद मे बैठकर अब उसकी जुबान चुसने लगी और वो मेरे दोनो आंब चुसने ल्गा. पर अब निचेसे उसका लंड टाईट हो रहा था और मुहे महसुस भी हो रहा था.
मै जान बुझकर अपनी गांड उसके लंडपर जोर जोर से घिसने लगी. जिन्सपॅंटके उपरसेभी मुझे मजा आ रहा था.
लंडका घिसना इतना excite कर रहा था की मै तो चुद और गांड कि जलन भी भुल गय़ी. देखते देखत हम दोनो नंगे हो गये और अब उसने मुझे सोफेपर सुलाकर मेरे दोनो उरोंजोमे अपना लंड घुसेडने लगा. वो जब दो बॉल के बिचमे लंड रखकर धक्का देता तब लंड सिधा मेरे मुह भी घुस  जाता. मै जबान से लंड के पृष्ठ को टच करके सहलाने लगी. अब लंड मेरे दो उरोंज और मुह मे आना जाना शुरु हुआ. मेरे उरोंजो को जी भरक चोदने के बाद दोनो टांग पकडकर चुद फिरसे फैला दी और सिधा लंड चुद मे घुसेड दिया. मी चिल्लाकर मजा उठाने लगी. अब  चुदकी फिरसे चुदाई शुरू हुई.
अबतक जो जलन हो रही थी वो चली गयी. मैने धिरेसे उसका हाथ पकडा और एक उंगली मेरे गांडपर रख दी. उसे जो समजन वो समझ गया. अब वो मेरी गांड मे जोर जोर से उंगली भी घुसेड रहा था और चुदमे लंड. आखिरकार चिल्लाकर फव्व्वारा मेरे पेट पर छोड दिया. सारा पानी पेटपर फैल गया. उस पानी पर हाथ फिरानी लगी और उसे जोरसे अपनी और खिंचकर चुमने लगी. इस तरह फिरसे चुदाई चालु हुई.
और दोन दिन सुहागरात मनाकर तिसरे दिन मुंबई लौट गये.
अगले हप्तेही हम दोन बॅंगलोर के लिये रवाना होनेवाले थे.

राहुल अरु वाशी-(सुहाग रात)

दो महिने पहिले जब राहुल के घर वाले देखने आये तब मै थरथर कांपही हुए चाय देने गयी. पहले तो मुझे आंदाजा नही था के ये लडका कैसा है. पर उसे देखतेही मैने पसंद किया. उपरी उसकी अच्ची कंपनीमे बंगलोर जैसे बडे शहर मे नौकरी जो थी.
पापानेभी हां भर दी और शाद तय हो गयी.
देखते देखते आज शादी का दिन आ पहुंचा.
विदा करते समय पापाकी आंखे नम देखकर मै उन्हे लपेट कर रो पडी.
राहुलके घरवाले बडे अच्चे लोग है ऐसा सुना था. वैसेभी रिश्ता चाचाके ससुराल वालोंके रिश्तेसे आया इस लिये कोई दिक्कत नही थी.
ससुराल मे मेरा बडा स्वागत हुआ. पुजा पाठा भी हो गयी अब कुछही घंटो मे सुहाग रात आ गयी. वैसे मै खुश तो हो जाती पर बडा डर भी लगने लगा. राहुल का घर मुंबई के गोरेगाव मे ३ बिएच के का बडा हि लक्झुरियस फ्लॅट और बंगलोरमे भी एक २ बिएचके ले रखा था.
सखी सहिलियोंने बेड सजाया और मुझे बेडपर बिठाकर सभी बाहार चले गये.
कुछही दे मे राहुल कि रुम एंट्री हुवी. सहि माने तो मुझे इसका इंतजारही था पर जैसेही उसने दरवाजेकी कुंडी लगायी मै अंदरसे कांपने लगी.
पास आके बैठतेही मेरी धडकन तेज हो गय़ी.
उसने धिरेसे मेरा हात थामा और जोर से खिंच लिया. मै भी यहि चाहती थी पर सुरुवात कुछ इस अंदाज सि की मानो मै बस उसे को-ओपरेट करते रहि.
उसने मुझे बांहो मे भर लिया और धिरेस मेरी गर्दन कि चुम्मी ली. अब उसके हाथ मेरे ब्लाऊजपर आये. दोनो हाथोसे मेरे उरोंज दबाना शुरु किया. मुझे लिटाकर मुझपर लेट गया. होटोंपर होट चिपका दिये. तन मे आग लगि थी. मै भी इस आग का अनुभव लेना चाहती. देखते देखते आज वो दिन आ ही गया. दोन गरम आहे भरने लगे. सांस तेज होने लगी और अब राहुल बोखला गया था.
मेरे ब्लाऊज के हुक निकालने लगा, मैने भी मदत की अब मुझे शरम भी आ रही थी और पती का हक उसे अदा करने का अभिमान भी हो रहा था.
मेरा ब्लाऊज उतारने के बाद अब मै ब्रा पे थी. उसने ब्रा भी उतार दिया और दोनो उरोज पकडके चुसने लगा. मै तो मानो आकाश मे उड रही थी. निचे मेरी निकर गिली होने लगी थी. अब उसने मेरी साडीऔर पेटीकोट दोन उतार दिये. मारे शरम के नजर नही मिला पा रही थी पर तन मे आग लगीथी.
राहुलने अपने कपडे उतार दिये और उसका लंड मेरे हाथ मे देने लगा. मै पहलीबार लंड देख रही थी. मुझे लंड पकडने की बिल्कुलभी ईच्छा नही हो रही थी. मैने बार बार मना किया. पर आखिर कार वो नाराज ना हो जाये इसलिये पकडकर दो तिन बार दबाया और थोडा सहलाया. उसे मजा आने लगा.
अब उसने मुझे लिटाकर दोनो टांगे फैलायी और लंड चुद मे घुसेड दिया.
अब तक तो मजा आ रहा था पर चुद मे लंड घुसतेही मै चिल्लाकर उठी.
मेरी एक न चली. उसने मुझे कसकर पकडा और मेरी चुद फटेतक चुदाई की.
पहला राऊड रोने धोनेमेही गया.
अब दोनो बाथरुम जाकर आये. थोडा पाणि पिया.
एक दुसरे को नंगे ही लिपटकर बिस्तरपर पडेरहे.
फिरसे उसका लंड खडा होने लगा और उसने मेरे उरोंज दबाना शुरु किया. अब तो मेरे पास भी एक राऊंडका अनुभव था. मैने खुद आगे बडकर अपने होट चिपका दिये. अब उसका लंड खडा हुआ. अब मै बे हिचका उसे दो चार बार सहकाकर चुद की तरह खिसका दिया. राहुलसे भी रहा नही गया और उसने दोनो टांगे फैलाकर चुदमे सिधा अंदरतक लंद घुसेडदिया. मुझे अब भी दर्द हुआ पर पहले जैसा नही.
और इस तरह पहली रात मे मेरे खुब चुदाई हुई.

Friday, July 9, 2010

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Monday, June 28, 2010

रेखा और सुनिल-I

श्याम के सात बजे थे. रेखा सुनिल का इंतजार कर रही थी. तभी उसका मोबाईल बजा. रेखा ने मोबाईल ऊठाकर सुनिल को दाटनेही वाली थी, तो सुनील बोल पडा.

सुनिल: अरे.... ईधर देखो, ईधर ईधर............


सुनिल रेखा को लेने आया था, उसकी कार ठिक रेखाके सामने खडी थी. पर रेखाको कुछ देर इंतजार करना पडा था इस लिये वो बावली हो गयी थी. आखिर सुनिल ने जोर से आवाज दि तब जाके रेखाकी नजर सुनिल पर पडी.

वो लालपिला चेहरा लेकर कार कि तरफ बडी, मुह मे पुटपुटाती हुवी कार मे बैठ गयी.

आज विकएंड था, सुनील और रेखा दोनो अलग अलग कंपनियोमे सॉफ्टवेअर इंजी. थे. दोनो कि मुलाकात जपान के एक एक्पो मे हुय़ी थी.

सुनील दिल्ली का रहनेवाला था, तो रेखा चेन्नईकी चंद्रमा थी.

पिछले पाच-छे महिनेसे इनके दोस्तीपर प्यार का रंग चढने लगा था. पर आज तक दोनो मे से किसी ने इजहार नही किया था. डेट पर तो जाते थे पर खाना पिने के आगे बात जाती हि नही थी.

आर रेखा ने तो थान हि लिया था कि अगर सुनील ने प्रपोज नही किया तो मै खुद करुंगी.

गाडी जाके एक बडेसे होटल के सामने रुकी, दोनो ने अपना मन पसंद खाना ऒर्डर दिया. वेटर खानेका ऒर्डर देने गया. सुनील ने सिगारेट सुलगाई.

रेखा: मुझे बिलकुल पसंद नही कि आप सिगारेट पियो.
सुनील: ठिक है, पर मुझे पसंद है ना.
रेखा: अरे हां, पर मुझे पसंद नही ना, मै क्या करु.
सुनील : ठिक है, मै उधर दुर जाके पिता हुं.
रेखा: क्यु. छोड नही सकते.
सुनील: बीबी जाये तो छोडुंगा, तब तक तो ये चलेगाही.
रेखा: तो शादी क्यू नही करते ?
सुनील: कोई मिलता हि नही.

आज रेखा को चॅंस मिलहि गया, ईस मोके को वो गवाना नही चाहती थी. क्युंकी वो सुनील से बहोत प्यार करती थी, पर सुनील प्रपोज करेगा सोचकर वो इंतजार करती थी. पर सुनील प्रपोज करनेसे घबरात्ता है ये समझने के बाद उसने आज प्रपोज करने की थान लि थी.

रेखा: बुद्दु हो तुम, आस पास जरा देखा करो, कोई तो मिल हि जायेगी.
सुनील: नही यार. आज तक तो नही मिलि.

रेखाने जो सिग्नल दिया, वो सुनील को समझमे नही आया. रेखा मन हि मन मे घुस्सा हो रही थी.

उतने मे वेटर ने खाना लगाया.

दोनो ने भरपेट खाना खाया और कार कि तरफ बढे.

कार कार का दरवाजा खोलकर रेखा अंदर बैठ गयी और सुनील ने फिरसे सिगारेट सुलगायी और ड्राईव्ह करने लगा.

रेखा: अब बहुत हुआ तुम्हारा, सिगारेट फेको.
सुनील: क्या बात है, आज इतना क्यू भडक रही हो.
रेखा: मुझे पसंद नही कि तुम्ह सिगारेट पिओ.
सुनिल: अरे लेकिन मै तो हमेशासेही पिता हुं ,ये तुम्हे आज क्या हुआ.

वक्त को भांपते हुए रेखा ने कहां

रेखा: क्यू कि मै नही चाहती कि मेरा होने वाला पती सिगारेट पिये.

खर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र खट्ट.

सुनिल के होश उड गये.

जीसे मनही मन मे पुजने लगा था आज उसे ने प्रपोज किया. आज तो सुनील को अपने कानोपर भरोसा नही हो रहा था कि रेखा जैसी सुंदर लडकी इतनी आसानीसे ऊसे प्रपोज करेगी.

सुनील: क्या कहा?
रेखा: वही, जो तुमने सुना, बुद्धु कही के.

सुनील ने स्टेरींग से हाथ उठाया और रेखा के हाथ पर रख दिया. रेखा ने अपना दुसरा हाथ सुनील के हाथ पर रख दिया. अब सुनील का हाथ रेखा के मुलायम हाथो से थमा हुआ था.

सुनील: मुझे अभी भी यकीन नही हो रहा है.
रेखा: हा, सुनील, मै तुम्ही बहुत चाहती हु. तुम्ह इजहार नही कर रहे थे इसलीय आज मैने किया.

और रेखा ने सुनील का हाथ उठाकर चुम लिया.

अब सुनील शरमा गया था. वो जरा शर्मीलाही था.

उतने मे देखते देखते रेखा का घर गया. रेखा ने दो महिने पहिलेही ईस घर का पझेशन लिया था. उसकी एक दोस्त उसके साथ रह्ती थी. पर आज वो गाव गयी थी.

रेखा को उसके घरके सामने छोडकर सुनील टाटा करने लगा.

रेखा: कार से बाहार निकले हुएघर नही आओगे ?”
सुनील का मनहि मन मे येही सोच रहा था, पर मनसे शर्मीला होने के कारण कुछ बोल नही पाता था.

सुनील: हा, बिलकुल आऊंगा.

सुनील ने कार पार्क करदी और दोनो रेखा के फ्लॅट कि तरफ बढने लगे. प्रपोज का नशा इतना चढ गया कि दोनो चल तो रहे थे पर बाते नही हो रही थी.
रेखाने घर का दरवाजा खोलकर अंदर गयी. किचनसे पिने का पानी ले आयी.

सुनीले ने पानी पिते हुंये सोफे पे बैठ गया.

रेखा सोफे के पास आके खडी हुंई, और बोली.

रेखा: क्यु....... गुमसुम क्यु हो .......?

सुनील: नहि कुछ सुझ नही रहा है.
रेखा: (नजरे झुकाती हुई) मैने कुछ गलत किया क्या ?
सुनिल: नही, तुमने वो किया जो मैने करना चाहिये था! मै भी तुमसे बहोत प्यार करता हुं रेखा.

ये सुनते हि रेखा ने सुनील के दोनो हाथ अपने हाथो मे पकडकर अपने चेहरेपर लगा लिये. सुनील खडा हो गया. रेखा खुशी के मारे सिसकने लगी थी. सुनील ने रेखा को अपनी बाहो मे भर लिया. रेखा भी अब सुनील को कसके पकडी हुई खडी थी. अब दोनो एक दुसरे को कसके पकडे हुए लिपटकर झल रहे थे.

रेखाने सुनील के ओठोपर अपने ओठ रख दिये अब सुनील के बदन मे बिजली दोडने लगी. उसने रेखा को ऊठाया और सिधा बेडरुम मे ले जाकर पटक दिया.

रेखा के उपर गिरकर उसने भी अपने होंठ रेखा के ओठोपर चिपका दिये. अब रेखा निचे और उसके उपर सुनील लेटा हुआ होंठ गडाये हुए था.

दोनो कि सांसे तेज हो रही थी, रेखा कि गरम सांसे सुनील को महसुस हो रही थी. अब रेखा ने अपनी जबान बाहार निकालकर सुनिल के मुह मे घुसायी. रेखा कि जुबान सुनील के जबान को लगने लगी थी. अब सुनील ने रेखा के सर को दोनो हाथो से कस के पकड लिया और रेखा कि जुबान सुनील के मुंह मे थी. सुनील के मुंह मे दो जुबान चुम्मा चुम्मी कर रही थी. और जबान कि चुम्मा चुम्मी से सुनील का लंड खडा होता जा रहा था.
रेखा को सुनील के लंड अब महसुस होने लगा था. हालांकी दोनो को सेक्स का कोई अनुभव नही था. पर आज दोनो नये खिलाडि पहली बार सेक्स का अनुभव लेने जा रहे थे. सुनील ला लंड अब पुरी तरह से खडा हो चुंका था. सुनील अपना लंड पॅंट से बाहार निकालने कि सोच तो रहा था पर शरमाता था. वो ऐसेही अपना मोटा लंडा रेखा के चुंदपर घिसने लगा और उपर मुंह मे मुंह डालकर चुंबन का आनंद लेने लगा.

रेखा को सुनील के लंडका चुदपर घिसना बडा हि अच्चा लगने लगा, पर वो उसे कपडो के उपरे से नही बल्कि कपडे निकालकर घुसाना चाहती थी.

रेखा अब बहोत गरम होने लगी थी. अब सुनील ने रेखा के मुंह मे अपनी जबान घुसायी थी. रेखा सुनील के जबान को चुसने लगी. अब दोनो हि बहोत उत्त्तेजीत हुए थे. रेखा ने अपना एक हाथ धिरेसे सुनील के पॅंट कि तरफ सरकाय और पॅंट के उपरसेही उसके लंड को पकड लिया. एक औरत जब लंड को पकडती है तो वो पल बयान करने के बाहार का होता है. मानो सुनील के अंग अंग मे बिजली दौड गयी.

सुनील ने अपना मुंह रेखा के मुंह से निकाला और बेडपर अपने घुटनो पर खडा हुआ. रेखा ने आगे बडकर उसकी पॅंट खोली और लंड बाहार निकाला. का लंड बाहार आते हि रेखा के भी होस ऊड गये. वो भले हि बोल्ड और डेअरींगबाज लडकी थी, पर इतना बडा लंड देखकर वो शरमा भी गय़ी और घबराभी गयी. पर अब सुनील चरम पर पहुंच चुका था. उसने रेखा के हाथ मे लंड दिया और उसको लिटा दिया. अब रेखा सुनील से नजरे नही मिला रही थी. पर सुनील अब रेखा के तन मन से खुप खेलने के मुड मे था.


सुनील ने रेखा कि जिन्स खोल दि, रेखा ने शरमसे अपना मुंह फेर लिया. अब रेखा सिर्फ टि शर्ट और निकर पे थी. उसकि सांसे तेज होने लगी, मुंह दुसरी और फेरा हुआ था. सुनील का लंड एक हाथ मे थामे हुए थी. अब उसकीपर सेक्स का उन्माद छाने लगा. रेखा सुनील के लंड को जोर जोर से दबाने लगी. हर दबावट के साथ सुनील बडा खुश हो जाता था. उसने रेखा को नंग कर दिया. अब सिर्फ ब्रा थी. अपने भी कपडे उतार दिए थे.

अब रेखा सुनील के सामने सिर्फ ब्रा पहने हुए लेटी थी. उसके हाथ मे सुनील का लंड था, मुह दुसरी और फेरा हुंआ था. शर्म के मारे आंखे बंद थी. और सुनील रेखा के कमर के नीचे बैठा हुआ पुरा नंगा था. उसका लंड रेखा के चुद पर रगड रहा था. अब वो नंगी रेखाके बदन पर लेट गया. रेखा के चुद पर सुनील का लंड बार बार रगडने कि वजह से रेखा और उत्तेजीत हो रही थी. सुनील ने अपना मुंह रेखा के ब्राके उपरसेही दो उरोंजोमे गडा दिया. रेखा से रहा नही जा रहा था. सुनील ने रेखा के पिठके निचेसे हाथ डालकर ब्रा निकालने कि दो चार नाकाम कोशीसे करने के बाद रेखाने अपने ब्रा के हुक खोल दिये. अब रेखा के दो बडे बडे उरोज देखकर सुनील को नशा होने लगा. दो हाथोमे दो उरोजोंको पकडकर मसलने लगा और रेखा सिसकने लगी. रेखाने सुनील के लंड को अपने दोनो पैरो के बिच मे चुद को लगकर दो जांघो से दबाना शुरु किया. रेखा कि जांघोमे दबते हुंए लंड को बडा मजा रहा था.

आखिर सुनीलने रेखा के बदन से उठकर अपना लंड हाथ मे पकड लिया. रेखा कि चुद मे धुसाने लगा. पहली बार होने कि वजह से चुद कि सही जगह मिल नही रही थी. दो चार बार कोशीश करने के बाद रेखाने अपना हाथ निचेसे लाकर लंड हाथ मे पकड लिया. अब रेखा ने लंड को चुद के सही जगह पर रख दिया. दोनो का बदन थरथर काम्प रहा था. अब सुनील का लंड रेखा कि चंदपर सही जगहपर रखा हुआ था.

और सुनील ने जोर से धक्का दिया, रेखा चिल्ला पडी, लंड रेखा कि चुद को चिरता हुंआ सिधा चुद मे घुसे जा रहा था. रेखा चिल्लाने लगी. रेखाने सुनील को पिछे ढकेलने कि कोशीश करने लगी पर सुनील ने दोनो हाथोसे रेखा के कंधे जकेड रेखे थे. अब रेखा सुनिल के जखेड पे ब्लॉक हुई थी. ना वो खुद को छुडा सकती थी ना सुनील को साथ दे सकती थी. सुनील का लंड अब रेखा कि चुद मे पुरी तरह घुस गया था. मानो चुद फट गयी हो. अब वो लंड को अंदर बाहार करने लगा और रेखा कि जान निकलने लगी.
रेखा: सुनील.. मै मर जाऊंगी सुनील प्लीज छोड यार. मै मर जाऊंगी. प्लीज, प्लीज छोडो.

सुनील: (कान के पास झुककर अपना लंड अंदर बाहार करते हुए) नही रेखा, मजा रहा है रेखा, प्लीज तुम मेरा साथ दो रेखा. मै नही छोड सकता अब तुम्हे रेखा.

और रेखा कि जान निकलने लगी. अब तो रेखा विरोध करने के लायक भी नही रही थी. उसका शरिर पुरा ढिला पड गया था. और सुनील उसके चुद मे लंड घुसेडा जा रहा था. रेखा बस आनंद लेने लगी थी. सुनील भी अब पुरा चरम पर गया.

उसने दोनो हाथ रेखा के पिठ के पिछेसे निकालकर कंधे पकडकर अब जोर जोर से चोदने लगा. रेखा बस सिसकती हुंई पडी रहने के अलावा कुछ नही कर सकती थी.

सुनील का लंड लोहे के रॉड कि तरह अंदर बाहर होने लगा. अब रेखा को भी मजा आने लगा. उसने अपना मुंह खोलकर सुनील के कान को चबाना शुरु किया. सुनील को लंड रेखा कि चुद को जोर जोर से चोद रहा था. हर एक झटकेसे रेखा दो ईंच उपर खिसकती जा रही थी. सुनीलने अपना दायें हाथ का अंगुठा अब रेखा के मुंह मे घुसेड दिया. निचा लंड चुदपर रगड रहा था और मुंह मे अंगुठ रगड रहा था.
अब सुनील चरम पर पहूच गया और तुफान कि गती रेखा को चोदने लगा. मानो आज रेखाकी चुद फट जाने वाली थी. दोनो जोर जोर से चिल्लाने लगे, रेखा और सुनिल दोनो अपने चरम पर पहुंच गये. अब लंड मानो चुद को फाड फाड कर घुसें जा रहा था.

रेखा: सुनिल, मर जाऊंगी सुनिल, पर अच्चा भी लग रहा है सुनिल. युर माय डार्लिंग. कितना अच्छा लग रहा है सुनिल. और जोर से सुनिल, और जोर से यार. बिलकुल छोडना नहि मेरे यार. और सुनिल कि गती तुफान से भी तेज हो गयी. उसे कुछ सुनाई नही दे रहा था. ये गती बिस मिनट तक चली और जोर से सुनील चिल्ला उठा.

आहा..... आहाआ.......... आहा............ और रेखा के उरोंजोपर अपना मुह घुसेडक्र लेट गया और तुफान थम गया.

रेखा को चुद के अंदर पानी का फव्वारा महसुस होने लगा. सब शांत हो गया. लंड से निकलने वाला फव्वारा अभी थंबा नही था. रुक रुक कर लंड चुद के अंदरही फव्वरे के बचे कुछे बुंद छोडता था. और बुंद छोडते समय जो स्ट्रोल रेखा को महसुस होता था उससे वो बडी हि आनंदित हो जाती.
उतने मे बाहर बेल बजी, और दोनो हडबडाके उठ गये. रेखा हॉल मे जाकर दरवाजेसे झांका तो उसके मामा और मामी दरवाजेपर खडे थे.